Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2021 · 4 min read

— किस बात की पारदर्शिता —

बहुत सी चीजें हैं, जो आये दिन देखने और सुनने को मिल ही जाती हैं ! अभी कुछ समय पहले ही खबर पढ़ी, की प्राधिकरण की वजह से, प्राधिकरण की मिलीभगत से अवैध निर्माण बन रहे हैं, यह तब है, जब की मोदी साहब सत्ता में विराजमान हैं ! योगिराज जी के शासन काल में यह सब चल रहा है, परंतू जैसे इन मिलीभगत करने वालों को किसी का खौफ्फ़ ही नही है ! आखिर हिम्मत कैसे हो जाती है, इन सरकार के अंदर बैठे कर्मचारियों की, कि वो मिलीभगत कर के किसी को भी निर्माण करने की खुली छूट दे रहे हैं ! पैसा लेते हैं, अपना घर भरते हैं , पर दूसरे की पूँजी का सत्यानाश करते है, और करवाने वाले खुद भी अपने पैसा का नाश कर रहे हैं !शायद उनके पास नुक्सान झेलने की सामर्थ हो !!

जो पहले भी देखने को मिलता था, वो आज भी देखने को मिल रहा है, तो बदला क्या , कुछ नही बदला, लोग अपने काम को करवाने के लिए रिश्वत देते थे, सरकारी कार्यालय में रिश्वत ली जाती थी, गलत काम खूब होते थे, कोई भी काम सुलभ तरीके से नही होता था, जब तक परेशां न कर ले आदमी को, वो सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाता रहता था , उस के बाद अंत में पैसा दे कर ही काम होता था..! फिर आज अगर हालत बदल गए हैं, तो फिर किस लिए वो ही कदम, यह कर्मचारी उठा रहे हैं, कि मिलीभगत से अवैध निर्माण करवाए जा रहे हैं, इस का साफ़ मतलब तो यही है, कि इनको किसी का डर नही है !

इस रिश्वत की कमाई से यह जगह जगह अनगिनत प्रॉपर्टी एकत्रित कर रहे हैं, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए विदेश भेज देंगे, अच्छे से अच्छे स्कूल, कालेज में पढने को भेज देंगे, जहाँ एक गरीब का बच्चा पैदल या साईकल पर जाएगा, वहीँ इन का कार या बाईक से नीचे पढने नही जाएगा, बीवी के गले में सोने का या हीरों का हार जरुर पहनाया जाएगा, ले देकर यही सामने आएगा, कि इनको जो आदत पहले से पड़ी हुई थी, वो आज भी कायम रहेगी, वरना समाज में इनको कहीं नीची निगाह से देखा जाए , इस लिए स्टेटस को बना के रखना जरुरी समझेंगे !!

आंकड़े कुछ भी कहते हैं, पर धरातल पर जब आदमी अपने काम के लिए निकलता है, तो पता चलता है, कि रिश्वत की जड़ें कितनी मजबूत हो चुकी हैं, कोई सीधे मुंह बात तक नही करता , काम होना तो बहुत दूर की बात है ! जब मिलीभगत से कोई भी काम होना है, तो वो हो कर ही रहेगा, उस में किसी का फायदा, किसी का नुक्सान होना भी लाजमी है, कोई पैसा लेकर भाग जाता है, कोई इसी रिश्वत से सारे काम करवा देता है !!

आर टीओ (परिवहन विभाग) जहाँ पर जाकर ही पता चलेगा की, आपका काम कैसे होगा , कब होगा, किस के माध्यम से होगा, कहने को तो बहुत बार कहा जाता है, कि वहां कोई काम रिश्वत से नही होता, जबकि वहां बिना रिश्वत के काम आज भी नही होता, कौन कहता है, कि काम आसानी से हो जाता है, खुद का तजुर्बा कहता है, कि आर टी ओ के बाहर जो इतने सारे दलालों का जमावाडा लगा हुआ है, उन्होंने पक्की दुकाने बना ली , जो पहले एक मेज कुर्सी पर काम चलाया करते थे, पहले कभी अगर किसी बड़े अधिकारी के आने का समाचार मिलता था, तो सब कुछ समेट कर खिसक लिया करते थे, आज उन सब ने अपनी पक्की दुकाने बना कर ओनलाइन काम को अंजाम दे रहे हैं, और उन सब की मिलीभगत अंदर के बाबूओं से पूरी तरह से संलिग्नता बनी हुई है ! कौन रोक सका उनको, अंदर पैसा देने के बाद ही फाईल आगे बढती है, और आपका लाईसेंस बहुत जल्द घर आ जाता है, क्यूंकि आज किसी के पास समय तक नही बचा, कि वो सीधा जाकर खिड़की पर अपना काम करवा सके, बार बार किसी के बस का नही है, चक्कर लगाना , इसी लिए इन दलालों से काम लेना मजबूरी है ! बाबू कभी कुछ, कभी कुछ कमी निकाल के कागजात आपके हाथ में थमा देगा और आप भी तंग आ जाओगे, तो सोचोगे कि इस से अच्छा होता, कि किसी दलाल की मदद से काम करवा लेता , जो की आखिर में उनके द्वारा ही करवाया जाएगा !!

कहने का अभिप्राय यही निकलेगा , कि रिश्वत का लेना , देना चलता रहेगा, वकत किसी के पास बचा नही , वक्त से काम हो जाए तो इंसान की चिंता दूर हो जाना स्वाभाविक ही है, यह पारदर्शिता इस रिश्वत के माध्यम से ही दूर होगी, कोई बिल्डर कहीं दोषी, कही प्राधिकरण के कर्मचारी दोषी, कहीं खुद इंसान दोषी , कहीं समय न होने से वक्त दोषी , यह सिलसिला चलता रहेगा, कभी शायद ही थमेगा , लोग आते रहेंगे, जाते रहेंगे , काम कभी रूकते नही, वक्त कभी थमता नही, एक ही बात को संब समझते हैं, कि जैसे भी चले , काम चलता रहे, किसी का घर भरे या किसी का उजड़े , यह पहिया कभी थमे नही !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 398 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
*
*"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
Shashi kala vyas
दो
दो
*प्रणय प्रभात*
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
2667.*पूर्णिका*
2667.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
Rituraj shivem verma
बावला
बावला
Ajay Mishra
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
पूर्वार्थ
परमात्मा
परमात्मा
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
*सेवा सबकी ही करी, माँ ने जब तक जान (कुंडलिया)*
*सेवा सबकी ही करी, माँ ने जब तक जान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
लिख दो ऐसा गीत प्रेम का, हर बाला राधा हो जाए
लिख दो ऐसा गीत प्रेम का, हर बाला राधा हो जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ख्वाबों में कितनी दफा
ख्वाबों में कितनी दफा
शिव प्रताप लोधी
गुज़ारिश आसमां से है
गुज़ारिश आसमां से है
Sangeeta Beniwal
बात हमेशा वो करो,
बात हमेशा वो करो,
sushil sarna
ईश्वर की आँखों में
ईश्वर की आँखों में
Dr. Kishan tandon kranti
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
Harminder Kaur
उसे तो आता है
उसे तो आता है
Manju sagar
प्रेरणा गीत
प्रेरणा गीत
Saraswati Bajpai
दिलों का हाल तु खूब समझता है
दिलों का हाल तु खूब समझता है
नूरफातिमा खातून नूरी
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
* भैया दूज *
* भैया दूज *
surenderpal vaidya
हुआ है अच्छा ही, उनके लिए तो
हुआ है अच्छा ही, उनके लिए तो
gurudeenverma198
ज़िंदगी ने कहां
ज़िंदगी ने कहां
Dr fauzia Naseem shad
रुक्मणी
रुक्मणी
Shashi Mahajan
जीवन
जीवन
Neeraj Agarwal
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Sanjay ' शून्य'
मुश्किल जब सताता संघर्ष बढ़ जाता है🌷🙏
मुश्किल जब सताता संघर्ष बढ़ जाता है🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
संदेश बिन विधा
संदेश बिन विधा
Mahender Singh
Loading...