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15 Oct 2021 · 1 min read

किस काम का ये मारा हुआ जिस्म

किस काम का ये मारा हुआ जिस्म
हारी हुई रूह और हारा हुआ जिस्म

फितरतन इंसान ने ख़ुद मैला किया
आसमां से पाक उतारा हुआ जिस्म

मौत की आगोश मे ढह ही गया देखो
बड़े बड़े दर्दों गम सहारा हुआ जिस्म

बुढ़ापे मे तकलीफों से गुजरता देखा
कोठो पर रातें गुजारा हुआ जिस्म

रूह जुदा हुई तो देखती रही”आलम”
हाथ पैर अपने पसारा हुआ जिस्म
मारूफ आलम

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