किस क़दर
किस क़दर
पुर सुकून है उतार देना
काग़ज पर अपने दिल का हाल
आवाज़ भी नहीं होती
और हाल बयां हो जाता है
हिमांशु Kulshrestha
किस क़दर
पुर सुकून है उतार देना
काग़ज पर अपने दिल का हाल
आवाज़ भी नहीं होती
और हाल बयां हो जाता है
हिमांशु Kulshrestha