किस कदर
किस कदर
सुकून है
इस मिट्टी के आगोश में
जो समाया इसमे
लौट कर
फ़िर आया कहाँ
इस बेदर्द दुनियाँ में
हिमांशु Kulshrestha
किस कदर
सुकून है
इस मिट्टी के आगोश में
जो समाया इसमे
लौट कर
फ़िर आया कहाँ
इस बेदर्द दुनियाँ में
हिमांशु Kulshrestha