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28 Sep 2021 · 1 min read

किस ओर चला इंसान

देखो किस ओर चला इंसान
अपनों को छोड़ हो गया अनजान

ना वो खुशियां ना वो अरमान
सब देते यहां अपना अपना ज्ञान
कहां गए वो घर जो बन गए अब मकान
ना बच्चों की किलकारियां, ना वो खेत खलिहान
देखो किस ओर चला इंसान
अपनों को छोड़ हो गया अनजान

जी रहे हम ऐसे युग में जहां हर चीज हो गई आसान
रिश्ते वैसे नहीं रहे दिल हो गए वीरान
छा गई हैवानियत इंसान बना शैतान
ना प्यार ना बलिदान कहां गए वो लोग महान
देखो किस ओर चला इंसान
अपनों को छोड़ हो गया अनजान

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 275 Views
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