किस्सा / सांग – # महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक – 7 # & टेक – बड़े बड़े विद्वान ज्योतषी होए ब्राहमण बेदाचारी, बेद विधि आगे की जाणै कोन्या पेट पूजारी। ।टेक।
किस्सा / सांग – # महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक – 7 #
वार्ता:-
सज्जनों! राणी की बात सुणके राजा कहते है कि ये ब्राहमणन ऋषियों की संतान है।
जिन्होंने क्या-2 कर दिखाया। इन ब्राह्मणों मे तो त्रिलोकी के नाथो का वास है और ये ही
इस सृष्टी के संरक्षक है ये पेट पुजारी नहीं है। राजा राणी को क्या समझाता है।
जवाब:- राजा का।
रागणी:- 7
बड़े बड़े विद्वान ज्योतषी होए ब्राहमण बेदाचारी,
बेद विधि आगे की जाणै कोन्या पेट पूजारी। ।टेक।
बृहस्पति गुरू देवताओं नै भी ज्ञान सिखाया करते,
शुक्राचार्य मरे माणसां नै फेर जिवाया करते,
मण्डप ऋषि शरीर सूधा सूरग मै जाया करते,
ऋषि श्रृंगी यज्ञ हवन तै मीहं बरसाया करते,
अगस्त मुनी समुंद्र पी कै करगे जल नै खारी।।
4 बेद 6 शास्त्र थे रावण कै याद जबानी,
33 करोड़ देवते कैद मै काल भरै था पाणी,
दुर्वासा वशिष्ठ अंगीरा बेदब्यास ब्रहमज्ञानी,
कागभूसण्डी नारद भृगु ना दाब किसे की मानी,
भृगु जी नै विष्णु जी कै लात कसूती मारी।।
परसूराम नै 21 बार या दुनियां जीत लई थी,
जनयू ऋषि के पेट मैं वा गंगे मात रही थी,
होई चकवैबैन की फौज खत्म चुर्णकुट ऋषि गैल फ़ही थी,
कास्ब ऋषि नै जगत रच्या पृथ्वी पैताल गई थी,
30 हजार वर्ष तक राखी दुनियां सारी।।
ब्राहमण रूप कहै ब्रहमा का जिसनै जगत रचाया,
ब्राहमण मै विष्णु का बास न्यूूं चार बेद नै गाया,
राजेराम लुहारी आले नै बुद्ध का सांग बणाया,
ब्राहमण का बामा अंग छत्री दहणा धर्म बताया,
यज्ञ हवन और सदाव्रत मै कुबेर होया भण्डारी।।