किस्सा / सांग – # चमन ऋषि – सुकन्या # टेक – 28 गोत ब्राहम्ण सारे ध्यान उरै नै करणा सै, गृहस्थ आश्रम पति पत्नी का धर्म सनातन बरणा सै।।टेक।
किस्सा / सांग – # चमन ऋषि – सुकन्या #
28 गोत ब्राहम्ण सारे ध्यान उरै नै करणा सै,
गृहस्थ आश्रम पति पत्नी का धर्म सनातन बरणा सै ।टेक।
सतयुग मै 56 शासन त्रेता में 103 होए
12 राशि गोत 27, 28 जमीन होए,
जिनके गोत्र ना जाणे वे ब्राहम्ण विद्याहीन होए,
दान पुन्न यज्ञ हवन तपस्या भक्ति कै अधिन होए,
खुद भगवान भगत के बस मै फेर बता के डरणा सै।।
मुनी वशिष्ठ अंगीरा कश्यप दुनिया के सरताज ऋषि
गालिब किरतस गौतम अत्री अगस्त भारद्वाज ऋषि,
चांदराण पिपलाण पुलस्त याजु और पियाज ऋषि,
कौशिक भूप होए विप्र गांधी विश्वामित्र राज ऋषि,
वत्स वियोग हरितस गोत्र मुगदल और सोपरणा सै।।
हरित साण्डल और साकीरत जमदगनी के परशुराम,
हांग शेषवर कृष्णा त्रिये गोत्र होए कृष्णा शाम,
सोहनक ऋषि पाराशर गोत्र जिसनै पढ़ लिए वेद तमाम,
ब्रहम ऋषि भृंगु के बेटे चमन ऋषि है मेरा नाम,
वंशावली ब्राहमण कुल की सुणकै पेटा भरणा सै।।
जम्बुदीप भरतखण्डे आर्यवर्त थे ब्रहामण सारे,
विष्णु विशवे ब्रहम देवता जगत गुरू बुध और तारे,
ईश्वर व्यापक जड़ चेतन मै माया ब्रह्म जीव धारे,
चार बेद छः शास्त्र नै दिए छाण दूध पाणी न्यारे,
राजेराम कहै अग्नि का मुख ब्रहाम्ण प्रथम चरणा सै।।