किस्सा / सांग – # कंवर निहालदे – नर सुल्तान # अनुक्रमांक – 38 #
किस्सा / सांग – # कंवर निहालदे – नर सुल्तान # अनुक्रमांक – 38 #
थारी बीरां की जात नै किसतै नहीं दगा कमाया। । टेक।
नाहुकसुर का जाया भूप ययाति खेलण गया शिकार,
एक ब्राहम्ण शुक्र की लड़की नाम देवयानी नार,
कुएं मै पड़ी रोवै थी राजा नै कढ़ाई बहार,
शुक्र जी नै प्रसन्न होके लड़की राजा गैल ब्याही,
दुसरी राणी तै लड़के पिहर कै म्हां चाल्ली आई,
ऋषि नै श्राप दिया राजा की सुणी बुराई,
रोया देखके गात नै इसा करूण बुढ़ापा थ्याया।।
चन्द्रकेतु राजा होया शूरवीर योद्वा बलवान,
ब्याही थी करोड़ा राणी फेर भी ना कोई संतान,
महाराणी कै पुत्र होगा ऋषियों नै दिया वरदान,
राणियां नै एक्का करके महाराणी तै लगाया बैर,
आदर ना करैंगे पिया न्यूं लड़का मारया देकै जहर,
राजा भी पछताऐं कैसा राणियां नै तोल्या कहर,
सुणके कहर की बात नै आके नारद नै समझाया।।
पदमावत नै पति रणबीर शुली पै चढ़ाया था,
रम्भावती नै ब्याहा पति मोडे तै पिटवाया था,
पिंगला का विश्वास भरथरी करके नै पछताया था,
पिता नै दिशोटा देके काढ़ दिया मदनपाल,
चंद्रप्रभा राणी गैले दिशोटे मैै आई चाल,
एक साधू नै बहकाली राणी गेरके ईश्क का जाल,
डोबी थी मुलाकात नै आई गेर कुएं मै ब्याहा।।
बड़े-बड़या का इन बीरां नै करवा दिया सत्यानाश,
मेहर और सुमेर ऋषि जमदगनी का सुरगवास,
श्रवण भी पछताया एक दिन करके नारी का विश्वास,
त्रिया के चरित्र नै ना देवता भी सके जाण,
ब्रह्मा-विष्णु-शिवशंकर नै धोखा खाया इनकी मान,
राजेराम लुहारी आला क्यूंकर ले गति पिछाण,
उर्वशी के साथ नै एक डोब्या भरत बताया।।