किस्सा — चन्द्रहास अनुक्रम–13
***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***
किस्सा — चन्द्रहास
अनुक्रम–13
टेक — कांच का बखोरा कोरा माट बाग के म्हां,
चन्द्रहास लेट ग्या बिछरी खाट बाग के म्हां ।
१-घोङा बान्ध दिया जामुन कै सारे तार धरे हथियार,
हो बेधङकै पङकै सोग्या राजा का राज कुमार,
निम्बू दाख अनार लगे लोकाट बाग के म्हां।
२-पापी मनुष्य जगत के अन्दर जीवों का दे काट गला,
बुरे कर्म करने वालों का कभी होता नहीं भला,
सुन्दर तला बावङी बणरे घाट बाग के म्हां।
३-होज्या रोग असाध्य दवाई करती असर नहीं,
जङी औषधि बूंटी कुछ खाणे का बिसर नही,
किसै बात की कसर नहीं सब ठाठ बाग के म्हां।
४-कहै नन्दलाल विषिया घर सैं बन ठण कै चाल पङी,
बेह माता नै हद कर राखी ठाली बैठ घङी,
स्टेशन ऊपर रेल खङी और गाट बाट के म्हां।
कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)