किस्सा–चंद्रहास अनुक्रम–16
***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***
किस्सा–चंद्रहास
अनुक्रम–16
वार्ता–एक सखी जब चंद्रहास को सोया हुआ देख लेती है तो वो विषिया को बताती है,तब दोनों सखी आपस में वार्तालाप करती हैं। सखी बार बार विषिया से चंद्रहास को जगाने की कहती है,और विषिया मना करती है।
दोनों आपस में सवाल जवाब करती हैं।
विषिया-सखी के सवाल जवाब. .
टेक-सूते नहीं जगाणे चाहिए सर्प शूरमा शेर सखी,
रस विष दोनूं वाणी मैं पर है बोलण का फेर सखी।
१-सूत्या सर्प जगाणे से वो फौरन डंक मारैगा,
जाणन आळा मंत्र पढ़कैं तुरंत जहर नै तारैगा,
नूगरे का झाड़ा कोन्या के करै गारुङू हारैगा,
सूगरे पै सतगुरू की कृपा पल मैं कारज सारैगा,
धारैगा सन्तोष बता कुण काल कजा ले घेर सखी।
वहां काल पहुंचै कोन्या जहां राम नाम की टेर सखी।।
२-राजपूत का शुभा गरम कदे काची नींद जागज्या हे,
तूं मीठी मीठीे बोल बोलकैं मुट्ठी भरण लागज्या हे,
दाहिनी भुजा तलै शस्त्र धरे कदे भरकैं रफल दागज्या हे,
तूं शस्त्र पहलें सरका दे तेरी विपदा दूर भागज्या हे,
जळती दीख आग ज्या हे जड़ मै दारु का ढ़ेर सखी।
पहलम आग बुझा दे नै तूं ठंडा पाणी गेर सखी।।
३-सूत्या शेर जगाने से वो करदे तुरंत बिगाड़ सुणो,
आगै पड़े शेर कोनी खा सीधी करले नाड़ सुणो,
आगै पड़े रह्या कोन्या जा जब मारै शेर चींघाड़ सुणो,
थोड़ी सी देर मै के बिगड़ै करड़ी करले जाड़ सुणो,
बिना काम की राड़ सुणो तेरै रह दिल मैं अंधेर सखी।
वहां अंधेरा रह कोन्या जहां हो सतगुरू की मेहर सखी।।
४-शंकरदास नाम रटने से सारा संकट कट जाता,
उपनिष्द इतिहास पढ़े से भेद वेद का पट जाता,
नूगरे का इतबार नहीं वो हाँ भरकैं न नट जाता,
केशवराम नाम लेणे से भ्रम गात का हट जाता,
कुंदनलाल रंग छ्ट जाता दयो न पुष्प बखेर सखी।
नंदलाल नंगारे बाजैगें उड़ै कोण सुणैगा भेर सखी।।
कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)