किस्सा कुर्सी का ( सत्ता की लालसा )
सदियों पुरानी दुनिया कुर्सी की है दीवानी ,
देवताओं से इंसानों तक दोहराई गई कहानी ।
देव असुर संग्राम हुआ स्वर्ग की कुर्सी के लिए ,
पुराणों में निहित हैं देवेंद्र की कुर्सी प्रेम कहानी ।
त्रेता युग में केकई ने राम के विरुद्ध षड्यंत्र रचा ,
पुत्र भरत को कुर्सी पर बैठाने हेतु हो गई दीवानी ।
द्वापर युग में कौरव पांडवों के बीच महाभारत हुआ ,
सत्ता के लालसा में हुए थी ये धर्म की अपार हानि ।
राजा महाराजों के मध्य रही परस्पर कुर्सी की जंग ,
एक दूजे की सत्ता हथियाने की ज़िद थी उन्होंने ठानी ।
कुर्सी की लालसा न होती तो रहते परस्पर एकता से ,
ना परस्पर तकरार करते ना विदेशी करते मनमानी ।
इनकी आपसी कलह ने विदेशी शासक सक्रिय हुए ,
सुन सकते है इनके जुल्म सितम इतिहास की जुबानी ।
भारत जो कभी आर्यव्रत था बन गया इंडिया,हिंदुस्तान,
कारण और परिणाम सबका एक कुर्सी की कारस्तानी
और अभी आधुनिक युग में राजनेताओं के बीच युद्ध ,
कुर्सी पाने को एक दूजे के साथ करते ये बदजुबानी ।
आखिर ये सब करे भी क्या है.!ये कुर्सी के बड़े प्रेमी ,
कुर्सी है जब लक्ष्य इनका इसके बिना जिंदगी है सुनी।