किस्मत से
मंच, माइक, श्रोता और वाह वाह
एक कवि का खुली आँखों का सपना है
चांद सितारे और एक रात का सफर
बाकी सब पराये सिर्फ यही तो अपना है
किस्मत से जिसे ये मिले वो नसीबदार हो गए
और हम जैसे ना जाने किन गलियों में खो गए
रात रात भर जाग जाग कर उगता सूरज देखा है
और फिर ………ओं की तरह पैर पसार सो गए