किस्मत के दोहे
मेरी किस्मत ले चली,अब जाने किस ओर।
प्रभु हाथों में सौप दी,यह जीवन की डोर।।
किस्मत में है क्या लिखा,नहीँ किसी को भान।
निरर्थक हैं विधा सभी,थोथा है सब ज्ञान।।
भाग्य-भाग्य का खेल है,इससे जीता कौन।
किस्मत नाच नचा रही,देख रहे सब मौन।।
अर्चना सिंह?