किस्मत ए रंज
इस मद्धिम रोशनी में
कोई पिघल रहा है
अपने आगोश में ही
कोई जल रहा है
हमें खामोशियों को मगर
साथ रखना है
वजूद को जिंदा
जिंदगी के बाद भी रखना है
पथ की विशेषता
राही समझ सकता है
मिले अवरोधकों को
वोही पार कर सकता है
चलो हम मीनारों को ढूँढते हैं
उनकी ऊँचाई का ठिकाना ढूँढते हैं
शहर में चर्चा अब यही आम होगा
कि तेरे हाथों में भी कोई जाम होगा
भूल तो हो ही गई है
मगर क्या करें
जिंदगी को क्या अब
हम तबाह करें
चलो अब एक नज्म गुनगुनाते हैं
किस्सा किस्मते रंज का सुनाते हैं
सोनू हंस