किस्त
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
तेरी याद में आधी रात को उठ के रोया है हमने
तुम्हें याद कुछ इस कदर किया है ,
की हर एक रात किस्तों में सोया है हमने
-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
तेरी याद में आधी रात को उठ के रोया है हमने
तुम्हें याद कुछ इस कदर किया है ,
की हर एक रात किस्तों में सोया है हमने
-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )