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18 Oct 2023 · 1 min read

किस्तों में सोया है हमने

क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने

तेरी याद में आधी रात को उठ के रोया है हमने

तुम्हें याद कुछ इस कदर किया है ,

की हर एक रात किस्तों में सोया है हमने

-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )

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