किसी से प्यार में इस बार हारना है मुझे
किसी से प्यार में इस बार हारना है मुझे
किसी को जीत दिलाकर संवारना है मुझे
बचे ये जान या क़ुर्बान हो रहे बेशक़
लहू से फ़र्ज़े मुह़ब्बत उतारना है मुझे
तमाम भेद भुलाकर रहें यहाँ पे सभी
हटा के मैल दिलों को निखारना है मुझे
मिटा के ज़ह् न से सबके विचार नफ़रत का
दिलों में प्यार का ज़ज़्बा उभारना है मुझे
थमा के प्यार की झाडू सभी के हाथों में
जहान फिर से मुक़म्मल बुहारना है मुझे
जहाँ में आबे मुहब्बत बहे दिलों में सभी
बड़े ही प्यार से सबको दुलारना है मुझे
– डॉ आनन्द किशोर