किसी विमर्श के लिए विवादों की जरूरत खाद की तरह है जिनके ज़रि
किसी विमर्श के लिए विवादों की जरूरत खाद की तरह है जिनके ज़रिए हम कुछ चीज़ों से नफ़रत कर सकें या कम से कम उनकी शिनाख्त कर सकें जिनसे नफ़रत की जानी है।
~ विभूति नारायण राय, सलाहकार सम्पादक, वर्तमान साहित्य