प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
नज़दीक आने के लिए दूर जाना ही होगा,
आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो।
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
"We are a generation where alcohol is turned into cold drink
राखी पावन त्यौहार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम