किसी भी हाल में ( मुक्तक )
किसी भी हाल में ( मुक्तक )
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नहीं हटना चाहता किसी भी हाल में ।
नहीं पड़ना चाहता दुश्मन की चाल में।
क्यों नहीं उन्हें उनकी औकात बता दें।
डाल देते हैं उन्हें उनके ही बुने जाल में।
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 05-09-2021.
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