“किसी भी नारी पर ,तू अत्याचार ना कर”
किसी भी नारी पर ,तू अत्याचार ना कर।
उसे कमज़ोर समझ उस पर, हर पल तू वार ना कर।
किसी भी नारी पर ,तू अत्याचार ना कर।
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सरेआम उसे बेज़ुबान समझ, इंसानियत को शर्मसार तू ना कर।
किसी भी नारी पर ,तू अत्याचार ना कर।
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अपने ज़मीर को मारकर ,उसका व्यापार तू ना कर।
किसी भी नारी पर ,तू अत्याचार ना कर।
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उसकी आबरू लूट, अपने पौरुषत्व को दाग़दार तू ना कर।
किसी भी नारी पर ,तू अत्याचार ना कर।