किसी भी चीज़ की ख़ातिर गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की ख़ातिर गँवा मत आज को देना
मुहब्बत नाज़ से अपने नये अंदाज़ को देना/1
बड़ा ख़ुद को नहीं कहना मग़र ये काम कर देना
मिरे हो तो तवज़्ज़ोह सुन आवाज़ को देना/2
ख़यालों में भुलाना पर हक़ीक़त में नहीं मुझको
हमेशा साथ दूँगा तब हिफ़ाज़त लाज को देना/3
गगन छूकर दिखाएगा तुम्हें सदक़ा करेगा वो
सदा हिम्मत मग़र हँसकर किसी परवाज़ को देना/4
सुनाए तो सुनो हर बात सीने में दबा रखना
बड़ी इज़्ज़त सदा सुनकर किसी के राज को देना/5
मिटाने की लिए सिलवट कभी भी तुम न जीतोगे
अगर हो जीतना दिल जोड़ दिल आग़ाज़ को देना/6
नहीं नीचा यहाँ कोई सभी इंसान प्यारे हैं
सभी को प्यार ‘प्रीतम’ तुम नये अल्फ़ाज़ से देना/7
आर. एस. ‘प्रीतम’