किसी के सम्मान या
किसी के सम्मान या
अभिनंदन में लिखने लायक़
कुछ भी पास न हो तो उसी की
जीवनी लिख कर उसे ही थमा दो।
अब दीवार पर लटकाए या आले में सजाए, मर्ज़ी उसकी अपनी।
किसी के सम्मान या
अभिनंदन में लिखने लायक़
कुछ भी पास न हो तो उसी की
जीवनी लिख कर उसे ही थमा दो।
अब दीवार पर लटकाए या आले में सजाए, मर्ज़ी उसकी अपनी।