किसी की याद आए तो
कभी जो बीती हो दिल पर भुला कैसे दिया जाए
किसी की याद आए तो कहो कैसे जिया जाए
कैसे गम की आंधी में ईमारत हो खड़ी दिल की
कैसे टूटकर के फिर जुडे़ वो हर कड़ी दिल की
कैसे होंठों पर मुस्कान लाए दिल भला बोलो
कैसे जान में फिर जान लाए दिल भला बोलो
अपनी आखों के आंसू , भला कैसे पिया जाए
किसी की याद आए तो कहो कैसे जिया जाए
कैसे बातें फिर दिल ये करे बस्ती बसाने की
भला कैसे लगे रंगीं कोई भी शय जमाने की
कोसों दूर तक तन्हाई का डेरा नजर आए
नजर के सामने हर वक्त अंधेरा नजर आए
समझ में आए न कुछ, कैसे-क्या किया जाए
किसी की याद आए तो कहो कैसे जिया जाए
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली