“किसी की तारीफ़ में”
फिर कलम उठ आई है ।
किसी की तारीफ़ में।
जिनकी बातें ,बड़ी कमाल है।
उनकी इक दूसरे से, लिपटे घुंघराले काले बाल है।
मिठाई के आशिक़ , चश्मा काला लगाते हैं।
कम्प्यूटर को हथियार बना , दूविधा वो मिटाते हैं।
कुछ लाईन मैंने बना आईं है ।
फिर कलम उठ आईं है ।
हंसी बहुत अच्छी है ,फिर भी उदासी छा आईं है ।
अपनी जिम्मेदारियों से, अपनी पहचान बना आईं है ।
उनका अंदाज़ ,बहुत निराला है ।
पर कुछ लोगों का, मन काला है ।
कुछ बातें हमने बताई है ।
फिर कलम उठ आईं है।