किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
फैसला करना हो तो याद रहे बीच मे कुरआन रहे
: अगर किया है किसी ने किसी पे अहसान कोई
ना भूलों उस वक्त को हमेशा याद वो अहसान रहे
जो कर रहे है तर्क ताल्लुक़ तो शौक से करे …हम से
ना भूले इन्साफ खुदा का और ना वो इस से अनजान रहे
हुआ है मुखालिफ ज़माना हम से…..तो क्या परवाह
इलाही तुझ पे कायम हमेशा हमारा ईमान रहे
: फरिश्ता है नहीं कोई तो यहाँ ना मासूम कोई
बनाया सब को खुदा ने इंसान तो फिर इंसान रहे … ShabinaZ..