किसी और के संग ऐसा मत करना
जैसा कि तुमने किया मेरे संग में।
किसी और के संग मत ऐसा करना।।
जरूरी नहीं वह मुझसा ही हो।
सलूक और से तू मत ऐसा करना।।
जैसा कि तुमने किया——————।।
जो चोट तुमने मेरे दिल पे की है।
नहीं कर सकेगा दुश्मन भी ऐसा।।
दिया प्यार तुमको अपनों के जैसा।
उसका दिया है यह तोहफा कैसा।।
यह दिल तुमको दुहा कैसी देगा।
ज़ख्म और को तू मत ऐसा देना।।
जैसा कि तुमने किया——————–।।
रहा नहीं जैसे आज तेरे काबिल।
देखा नहीं क्यों तुमने ऐसा पहले।।
इल्जाम मुझ पर जो आज लगाया।
रोका नहीं क्यों करते ऐसा पहले।।
दर्पण जो तुमने दिखाया है मुझको।
आईना और को मत ऐसा दिखाना।।
जैसा कि तुमने किया———————–।।
ख़ता तेरी क्या है, नहीं पूछना मुझसे।
सच्चाई गर तेरी सबको बता दूँ ।।
कहना नहीं खुद को कभी तू पवित्र।
तेरी बड़चलनता गर सबको दिखा दूँ।।
मुझसे तो ज्यादा तुम्हें कौन जानेगा।
बदनाम और को मत ऐसा करना।।
जैसा कि तुमने किया———————।।
तुमने यह समझा कि तेरा गुलाम हूँ।
मजबूर हूँ मैं, बहुत कर्जदार हूँ।।
झुकता नहीं मैं तेरे सामने।
तुमसे तो ज्यादा मैं इज्जतदार हूँ।।
जैसा कि तुमने लूटा है मुझको।
खेल और के संग मत ऐसा खेलना।।
जैसा कि तुमने किया———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)