किसान
किसान
पसीना बहाकर खेत जोतता
बीज बोकर अन्न उपजाता ।
भूखा रहकर लोगों की भूख मिटाता
तभी वह जग में अन्नदाता कहलाता ।
आंधी, तूफ़ान, गर्मी से वह न घबराता
परिश्रम से कभी न जी चुराता ।
धरती माँ की सदा सेवा करता
मेहनत पर ही विश्वास करता ।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़