किसान
किसान
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सुबह-शाम,दिन-रात परिश्रम
के पर्याय हैं वीर किसान
कर्म-साधना के साधक हैं
ये अपने भारत की शान।
घनघोर हो बारिश,सर्दी,ठिठुरन
जेठ की तपती दुपहरिया
बढ़ें फसल खेतों में निशि दिन
अपने किसान हम सबकी शान।
जीवन के झंझावातों में
दुःख के भारी बरसातों में
चलते रहते हल खेतों में
बसते हैं प्रभु इनके मन में।
दुःख भी सहते,हँसते,हर्षाते
हम सबको है इन पर आन
रीढ़ राष्ट्र की इनसे ही है
देश-देश की शान किसान।
हों परिमार्जित,परिवर्द्धित नित-नित
पुष्पित हों ये देश की शान
सब जन भावुक हों इनके प्रति
जय-जय भारत के वीर किसान!
–अनिल कुमार मिश्र
राँची,झारखंड