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22 Dec 2017 · 1 min read

किसान

( किसान )

दाने दाने को सिंच कर
कमर को अपने बाध कर
धुप में पसीने को जला कर
मेहनत करता किसान हैं
जाडा गर्मी बारिश धुप
कभी ना करता आराम हैं
लेकर टुटी लाठी
खट खट करता पहुँचा खेत
मुलझाये सूखे पड़े हैं
नन्हें अंकुरित धान के खेत
भूख बीमारी को दबा कर
काम करता जी जान लगाकर
सुबह से हो गयी शाम कब
पता ना चला खेत में
रुदन सा चेहरा बनाकर चला
घर की तरफ पगड़ी खोलकर
टेंशन में अब जी नहीं लगता
क्या होगा अब की बार फसल का
बारिश के बिना सूख रहे
इस बार धान मकई के खेत

महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 539 Views
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