किसान जगाओ…..
चहुं दिक मेघ गर्जन, बादलों का सुनो ललकार
ला रहे है मेघदूत बादलों के साथ वर्षा का त्योहार।
उथल – पुथल मची है जैसे आवरण की है दरकार,
सुनकर मेघ गर्जन, किसान हल लेकर है तैयार।
शुरू होने लगी आकाश से अनमोल अमृत वर्षा ,
किसान अपने बीजों को चुनते है साथ हर्षा।
पंक्षी को है तैयारी अब घोसलों में जाने की बारी,
सुबह अपने मधुर स्वर से किसान को जगाने की तैयारी।
अन्न नहीं वो सोना है उगाता, धरती के आंचल में वो सोता,
आओ उनके गुण गाए , उनके अन्न से अपना भविष्य सजाएं।।