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14 May 2017 · 2 min read

किसान और कृषि

किसान और कृषि एक ही सिक्के के दो पहलु हैं दोनों में से किसी को भी अलग नहीं किया जा सकता हैं भारतीय समाज में किसानो की दयनीय दशा को देखकर लगता हैं हैं कि सम्पूर्ण जगत का दु:ख किसान पर आ गया हो! बढती जनसंख्या के कारण कृषि पर दबाव बढा रहा .यही से किसानों की चिन्ता बढने लगी . भारतीय समाज में किसानों की गिनती परोपकारिता समुदाय में की जाती हैं. किसान के पास एक उद्देश्य होता है कि अन्न का उत्पादन करना .किसान के उद्देश्य और लक्ष्य सीमित होते हैं .खेत में लहराती फसल उसकी मुस्कान होती हैं.जब फसल को बाजार में अच्छा भाव मिल जाए तो उसकी खुशी में चार चाँद लग जाते हैं . किसान कभी भी अपनी मेहनत का ईसाब- किताब नहीं करता हैं वह अपनी मेहनत को देश को समर्पित करता है देश की उन्नति में किसान का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं .किसान अपनी मेहनत से देश रूपी धरा को उपजाऊ बनाकर उसे हरा-भरा खुशहाल बनाता हैं. वह उपजाऊ भूमी में कृषि कर देश कोअमृत रस प्रदान करता हैं.वह इस मातृ-भूमि का सच्चा देशभक्त हैं. किसान समाज का पोषण कर्ता हैं अन्नदाता कहलाने वाला किसान आज अपने जीवन को कोस रहा है . आज वह अपनी फसल पर आँसू गिरा रहा है. किसान को कृषि का वातावरण चाहिए उसकी फसल को सही मूल्य चाहिए. भारक एक कृषि प्रदान देश हैं और यहां कृषि योजनाओं का मानसून आता तो है लेकिन किसानों तक नहीं पहुँच पाता हैं ऊपर का ऊपर ही भ्रष्टाचार के प्रभाव में विलीन हो जाता हैं—–
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Language: Hindi
Tag: लेख
459 Views
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