किससे यहाँ हम दिल यह लगाये
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किससे यहाँ हम दिल यह लगाये, किसको यहाँ हम साथी बनाये।
नहीं शौक अब ऐसा हमारा, कि हम किसी को प्यार जताये।।
किससे यहाँ हम दिल———————-।।
कोशिश ऐसी की थी किसी से, चाहता था दिल उसको बहुत ही।
आँखों में उसकी तस्वीर बनाई, उसको किया था प्यार बहुत ही।।
लेकिन उससे नहीं मिली खुशी, क्यों ऐसा रोग हम फिर से लगाये।
नहीं शौक अब ऐसा हमारा, कि हम किसी को प्यार जताये।।
किससे यहाँ हम दिल———————–।।
रहा नहीं भरोसा हमको, यहाँ अब किसी पर।
नहीं है कोई दिल ऐसा, कुर्बान हो जो हम पर।।
ये खूबरसूरत चेहरें बड़े बेवफा है, कहो कैसे इनको हम ख्वाब बनाये।
नहीं शौक अब ऐसा हमारा, कि हम किसी को प्यार जताये।।
किससे यहाँ हम दिल———————–।।
पसंद नहीं हमको रूठना इनका, आता नहीं हमको इनको मनाना।
होते हैं मग़रूर दिल ये बहुत ही, पसंद नहीं हमको गुलाम बनना।।
शीशे के मानिंद तोड़ देते हैं दिल को, कहो किसको यहाँ हम वफ़ा बताये।
नहीं शौक अब ऐसा हमारा, कि हम किसी को प्यार जताये।।
किससे यहाँ हम दिल———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)