किसको याद करूँ
किसको याद करूँ
वो बचपन की यादें,या वो यादों का बचपन ,
वो यादें जो धुंधली हो चली या वो बातें जो आज भी मनचली,
स्कूल की यादों का बचपन याद करूँ ,
मोहल्ले में मोहल्ले के दोस्तों को याद करूँ ,
स्कूल की पहली बेंच पर बैठकर,
नई कोरी कॉपियों मे सवालों का लगाना,
या उन्ही सवालों के पन्नों से बारिश मे भीगी हुई नाव बनाना,
किसको याद करूँ,
टीचर की डाँट पर कॉपी के पन्ने भिगोना,
या मम्मी की डाँट पर कहीं कोने मे सिसकना,
चलती हुई क्लास मे चुपचाप से टिफिन का खाना,
पकड़े जाने पर मुंह मे कौर को दबाना ,
और धीरे से सिर झुकाकर बात का छुपाना,
लंच टाइम मे अपने दोस्तों का टिफ़िन खा जाना,
या फिर मम्मी की परोसी हुई थाली पे नखरे दिखाना,
किसको याद करूँ,
वो खेलते हुई कभी लड़ना झगड़ना,
गेम पीरियड मे जाकर पेड़ों से बेर तोड़ना,
फिर धीरे से क्लास मे लेट पहुंचना,
सॉरी बोलकर उनके गुस्से से बचना,
या फिर खेलते -खेलते शाम का ढलना,
मम्मी के बुलाने पे बातों का मढ़ना ,
पढ़ाई करते समय आनाकानी तो कभी बहन की चोटी पकड़ना ,
किसको याद करूँ,
किसी की परवाह याद करूँ या बेपरवाह याद करूँ,
वो जिंदगी जो मेरी थी उसको याद करूँ,
क्यूँ लगता है की हम बड़े हो गए,
हम खेलते थे जो लुका-छुपी वो जिंदगी हुमसे खेलती है,
चलो भूल जाते हैं आज को,गुजरे कल को याद करते हैं,
फिर वही सांप सीढ़ी से चढ़ते और उतरते हैं,
उसी कैरम बोर्ड की रानी को जीतने की होड़ लगते हैं,
वही चंपक,चाचा चौधरी और साबू को याद करते हैं,
सोचती हूँ कि बस उसी गुज़रे हुऐ ज़माने को याद करूँ,
और बता ऐ पल मैं किसको याद करूँ ,
किसको याद करूँ, किसको याद करूँ ,किसको याद करूँ !!