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16 May 2022 · 1 min read

*किसको कितना समय बिताना 【भक्ति-गीत】*

किसको कितना समय बिताना 【भक्ति-गीत】 ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
किसे पता इस जग में किसको कितना समय बिताना
(1)
सौ वर्षों का समय मिला है ,सौ वर्षों की काया
सौ वर्षों का खेल जगत में प्रभु का रचा-रचाया
सौ वर्षों के लिए जगत में साँसों का यह मेला
सौ बरसों के बाद मनुज है फिर से चला अकेला
जितने थे संबंध रेत पर जैसे लिखा-मिटाना
किसे पता इस जग में किसको कितना समय बिताना
(2)
किसे पता सौ बरस यहाँ पर बीतें या कल जाएँ
किसे पता वृद्धावस्था में विपदाएँ क्या आएँ
सभी जानते बचपन – यौवन – प्रौढ़ावस्था आती
किंतु मृत्यु असमय मानव को अक्सर ही खा जाती
किसे पता इस जग में किसका कितना पानी – दाना
किसे पता इस जग में किसको कितना समय बिताना
(3)
गठरी बाँध मुसाफिर करता चलने की तैयारी
मिले यहाँ कुछ संगी-साथी चार दिनों की यारी
यात्रा यह अनवरत , न रुकती-रहती हर पल जारी
किसे पता पड़ जाए आवागमन-चक्र कब भारी
शाम हुई तो ठहरा यात्री , सुबह हुई फिर जाना
किसे पता इस जग में किसको कितना समय बिताना
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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