किसके सँग हम खेलें होली?
होली आने वाली लेकिन
हमजोली है साथ नहीं,
किसके सँग हम खेलें होली
प्रिय टोली है साथ नहीं!
०००
अपने दिल का प्रेम जगाने
वाले मीत नहीं सँग में,
या फिर बोलूँ उनके दिल में
प्रेम की बोली साथ नहीं!
०००
जो दिल का उत्साह जगा दे
ऐसी गोरी मिली नहीं,
कह सकते हैं प्रेम से पूरित
द्वार-रँगोली साथ नहीं!
०००
बुरा न मानो होली कहकर
रंग जो डाला करते थे,
आज उन्हीं के जीवन में है
हँसी-ठिठोली साथ नहीं।
०००
‘सरस’ रंग से हुई इलर्जी
खेल न पाता अब मैं भी,
ठीक करे जो सहज इलर्जी
ऐसी गोली साथ नहीं।
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)