किशोर-रंग
जैसे ही बाल्यावस्था से
किशोरावस्था में किया प्रवेश
आए मन-तन-बदन में परिवर्तन
अंग-प्रत्यंग हुए परिपक्व
सोच-विचारों में भी बदलाव
पैदा होने लग गया अचानक
विपरीत लिंग प्रति आकर्षण
अच्छा लगने लगा उनका साथ
होने लगा सुंदरता का आभास
दिल पर हुआ दिल का प्रतिघात
पैदा होने लगी प्रेम-उमंगें-तरंगें
दिखने लगे रंग-रंग बिरंगे
चुपके चुपके चोरी चोरी से
सुंदरी की सुंदरता को ताकना
मन ही मन असीमित चाहना
दिल अंदर तल तक झांकना
पनपे भावों को अधरों तक लाना
मौका तलाशना-मिलते ही गंवाना
फिर चिरकाल तक पछताना
मन की बात मन में ही रह जाना
मध्यस्थता द्वारा बात पहुंचाना
नजरों का नजरों से टकराना
वो बेहद खूबसूरत नजराना
स्वीकृति संकेत मिल जाने पर
धरती पर पांव ना लगना
आँखें मूंदकर बेहद मुस्कराना
बात-मुलाकात तक के कार्यक्रम
योजनाबद्ध प्रयोजित आयोजित करना
प्रेम के हसीन लम्हों को जीना
इन्कार-इकरार-तकरार-प्यार
सभी संयोग-वियोग भावों में
भावविभोर हो बह जाना
जीवन के अहम मोड़ की दस्तक
जिस से खनक जाता मस्तक
बिखर जाते है सभी जीवन-रंग
जब छूट जाता प्यार का संग
टूट जाता प्यार का चढाया पंतग
टुट जाते हैं सभी स्वर्णिम स्वप्न
बुझे मन से होती है विदाई
मिले जीवन भर की जुदाई-तन्हाई
होती है खूब जग हँसाई
आँसू छिपाने को मिलती नहीं रजाई
संग साथ होती है बस तन्हाई
तन्हाई ही तन्हाई, केवल तन्हाई
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली(कैथल)