किशोरावस्था : एक चिंतन
किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें बचपन की अवस्था से युवावस्था में पदार्पण होता है।
इस प्रारंभिक दौर में कई शारीरिक परिवर्तन भी दृष्टिगोचर होते हैं इसके अतिरिक्त बचपन के अपरिपक्व मस्तिष्क का विकास परिपक्वता की दिशा में होने लगता है।
परिवर्तन के इस आयाम में किशोरावस्था की मानसिक स्थिति में एक ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है , जो किसी भी तर्कपूर्ण निर्णय लेने में बाधित करती रहती है।
इस दशा में किशोर समकक्ष किशोरों की समूह मानसिकता से प्रभावित होने लगता है , उसमें व्यक्तिगत मानसिकता की प्रज्ञाशक्ति का विकास उस स्तर तक नहीं हो पाता जिससे वह निहित संज्ञान का विश्लेषण कर तर्कपूर्ण निर्णय ले सके।
इस प्रकार किशोर की यह मानसिक अवस्था उसे कभी-कभी उसे उसके द्वारा लिए गए अविवेकशील निर्णय से उसके भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
किशोरावस्था में हितचिंतकों की सलाह का
प्रभाव भी किशोर की सोच में परिवर्तन की दिशा में अपेक्षाकृत कम ही देखा गया है।
अतः किशोरावस्था एक संवेदनशील अवस्था है जो किशोरों के भविष्य की दशा एवं दिशा निर्धारण में एक अहम भूमिका निभाती है।
वर्तमान समय में किशोरों को दिग्भ्रमित करने के लिए के लिए कई साधन उपलब्ध हैं , जो किशोरों को प्रगतिशील राह से भटकाकर उनका भविष्य बर्बाद कर सकते हैं।
सामूहिक मानसिकता का नकारात्मक प्रभाव किशोरों की मानसिकता पर पड़ रहा है। जिसके प्रमुख कारण देश में विस्तृत बेरोजगार की समस्या , प्रशिक्षण एवं रोजगार कमाने के अवसरों का अभाव है।
वर्तमान में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या एक विकट समस्या के रूप में प्रस्तुत हुई है , जिसका प्रमुख कारण शासन व्यवस्था की अकर्मण्यता ,
शासकीय नौकरियों की नियुक्ति में धांधली एवं
भ्रष्टाचार शामिल है।
जिसके कारण युवा त्वरित पैसा कमाने के मायाजाल जुआ, सट्टा , ऑनलाइन गेमिंग , धोखाधड़ी इत्यादि में लिप्त होकर अपना भविष्य अंधकारमय बना रहा है।
अतः हमें आवश्यक है इस विषय में गंभीरता से चिंतन करें, एवं किशोरों एवं युवाओं को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास किए जाएं।
इसके लिए हमें रोजगार उपलब्ध कराने हेतु वित्तीय संसाधन एवं वैकल्पिक रोजगार के अवसरों का विकास करना होगा।
जिसके लिए हमें शासन के अतिरिक्त निजी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर खोजने होंगे एवं इसमें निजी क्षेत्रों की भागीदारी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करनी होगी।
हमें इस पुनीत कार्य को समयबद्ध अभियान के तहत संपन्न करना होगा एवं इसे हरेक नागरिक की भागीदारी के सामाजिक दायित्व के रूप में प्रस्तुत करना होगा।