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21 Sep 2023 · 1 min read

किरायेदार

किसी किरायेदार की तरह
आया वो मेरे दिल मे
हकदार बन बैठा दिल का
बिना किसी ही लिखत पढ़त

अकेला आया था वो मगर
ऐसा लगा जैसे हम साय है वो
ना कह न पाई उसे मै
सौंप दी दिल की चाबी फौरन

जब समझने लगे उसे अपना
वो कुछ हिचकिचाने लगा
आंख मिचौली के इस खेल मे
हार गए हम दिल अपना

चला गया फिर वो एक दिन
बिना कुछ कहे सुने
कर गया खाली दिल मेरा
दे गया यादें ,छोड़ गया तन्हा

केशी गुप्ता
लेखिका समाज सेविका
द्वारका दिल्ली

Language: Hindi
2 Likes · 461 Views

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