Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2023 · 10 min read

किरदार

बारहवीं का परीक्षा परिणाम आ चुका था । पास होने के बाद शहर के कॉलेज में दाखिला लेने की उत्तेजना समीर के मन में हिलौरे ले रही थी जो उसके चेहरे पर साफ साफ एक चमक के रूप में दिखाई भी दे रही थी ।(सुंदर नाक नक्श, गठीला शरीर, घने काले बाल, हल्की हल्की मूछें जो नवयुवक के आभा मण्डल पर चार चाँद लगा रही थी। समीर अपने आपको किसी हीरो से कम नहीं मान रहा था । उसका ज़िंदगी जीने का नज़रिया ही अलग था । मुँह फट, बिना सोचे विचारे किसी को कुछ भी कह देता कभी-कभी किसी को बुरा भी लग जाता तो कभी ये सोचने पर मजबूर कर देता था कि कुछ भी हो बंदा है साफ दिल का । उसके चेहरे और उसकी बातों में गजब का आकर्षण था जो किसी से भी थोड़ी देर बात करने मात्र में ही अपना मुरीद बना सकता था)
कॉलेज की पढ़ाई वह हॉस्टल में रहकर ही पूरी करेगा, समीर ने ये पहले ही तय कर लिया था । हालाँकि उसके पिताजी एक छोटे किसान थे। समीर पढ़ लिख कर कुछ बन जाये तो इस बिना आमदनी की खेती किसानी से पीछा छूटे जो उनकी कई पीढ़ियां बीतने के बाद भी उनके आर्थिक हालात नहीं सुधार सकी थी । ये उसके पिता का सपना था। समीर अपने माँ बाप से आशीर्वाद लेकर चल दिया अपनी नई मंजिल की तरफ़ जो थी उसका कॉलेज उसका भविष्य ।
जैसे तैसे उसने सारी व्यवस्थाएं भी कर ली थी ।
कॉलेज में उसने कई दोस्त बना लिए थे, पढ़ाई भी वह मन लगा कर करता था। फिर भी उसे किसी की तलाश थी। शायद कुछ खालीपन था जो अब भी उसको सता रहा था।
कॉलेज के कुछ दिन यूँ ही मस्ती मजाक और पढ़ाई करते हुए निकल गए।
तभी एक दिन समीर की ज़िंदगी में एक आहट ने दस्तक दी, नायरा हाँ नायरा नाम था उसका, सुंदर गेहुआँ रंग, सुडौल शरीर, बड़ी बड़ी आँखें, आकर्षक छवि, बोलने में भी स्पॉट उच्चारण । वह कॉलेज में नई थी। दिखने में पहली नजर में ही समीर को
नायरा में एक अजीब सा खिंचाव और अपनापन सा लगा। परन्तु नायरा तो अपनी नाक पर मक्खी तक भी नहीं बैठने देती थी वह कहाँ किसी को इतनी आसानी से भाव देनी वाली थी। बहुत दिन बीत गए, अब समीर और नायरा के बीच सिर्फ कुछ हल्की फुल्की बातचीत शुरु हो गई थी।
समीर का खालीपन शायद कुछ कम होने लगा था। नायरा से बात करना उसे अच्छा लगता, परन्तु नायरा उसे कम ही आँकती थी। समीर इस बात से अनजान था।
कॉलेज की गर्मी की छुट्टियाँ हो चली थी । समीर होस्टल से अपने घर, गाँव में आ गया था। हर वक्त खुश रहने वाला लड़का अब गाँव आकर उतना खुश नहीं दिख रहा था। वह सुबह से शाम खोया – खोया सा रहने लगा, जैसे कि उसका कुछ गुम हो गया हो ।
कॉलेज के उन हँसी पलों से अपना ध्यान हटाने के लिए कभी वह घर के काम में लग जाता तो कभी दोस्तों संग वक्त बिताने का निरर्थक प्रयास करता । परन्तु वह हँसी चेहरा उसकी आँखों से छूट नहीं रहा था और यह जुदाई उसे तन्हाई बनकर खाये जा रही थी ।
जैसे तैसे छुट्टियाँ खत्म हुई कॉलेज में क्लासें फिर शुरु हुई। पहले ही दिन नायरा से बात करने की तड़प समीर के चेहरे पर साफ साफ झलक रही थी। नायरा भी अब समीर से पहले से ज्यादा बातें करने लगी थी । समीर के मन में लड्डू से फूट रहे थे । अब उसे मन ही मन लगने लगा था कि नायरा भी उसे चाहने लगी है। परन्तु ये खुशी बहुत ज्यादा देर तक नहीं रुक सकी । एक दिन समीर क्लास में वक्त से पहले ही पहुँच गया और नायरा के आने की बाट जोहने लगा। परन्तु नायरा तो अक्सर पूरे समय पर ही क्लास में आती थी । आज शायद कुछ खास बात हों यह सोचकर समीर मन ही मन खुश हो रहा था। अचानक नायरा के कदमों की आहट सुनाई दी और कमरें के दरवाजे से ही वह वापिस मुड़ गई। शायद कारण था क्लास में समीर का अकेले होना ।
यह अचानक इतना जल्दी हुआ कि समीर उस वक्त कुछ समझ ही नहीं पाया। पर धीरे धीरे सारी तस्वीरें शीशे सी साफ हो गई। जो ख़्वाब समीर नायरा को लेकर देख रहा था वो कभी पूरे होने वाले नहीं थे । मन दुखी जरूर हुआ पर दिल अभी हार मानने वाला नहीं था। चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए समीर क्लासरूम से बाहर निकल गया। अब दोनों के बीच कभी कभी ही बातें होती और होती तो भी बातों में वो अपनापन नहीं रहा। दिन बीत रहे थे, समीर के वो सपने जो कॉलेज शुरु होने के साथ उसकी आँखों ने देखे थे और उन सपनों में जिसमें अब नायरा भी शामिल हो चुकी थी,वो समय के साथ अब टूट रहे थे। अब कॉलेज में समीर का दम घुटने लगा था । उधर नायरा का जीने का ढंग अलग ही था, वो समीर के हालात से बेखबर अपने दोस्तों में खुश रहती थी। कड़ी मेहनत से बड़ा मुकाम हासिल करना चाहती थी, जिसके लिए वो रात दिन मेहनत भी करती थी ।
समीर की प्रेम कहानी अभी भँवर में ही थी के अचानक उसके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा और उसे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर नॉकरी करनी पड़ गई। उसका कॉलेज बीच में ही छूट गया । समीर के सारे सपने अधूरे रह गए और उसने अपने जज़्बात दबा लिए।
एक लंबा अरसा बीत गया, सब कुछ सामान्य हो चला, तभी एक दिन समीर के फ़ोन की घंटी बजी और सामने से एक सुरीली सी आवाज़ आती है “कैसे हो समीर”। आवाज़ समीर को जानी पहचानी सी लगी।
समीर कुछ समझ पाता उस से पहले ही अगला सवाल आता है “भूल गए क्या?”
ये नायरा की आवाज़ थी।
एक ही पल में पिछली सारी बातें समीर की आँखों के सामने घूम गई।
“मैं ठीक हूँ,आप बताओ ?” हकलाती सी आवाज़ में समीर ने नायरा के सवाल का जवाब दिया। वह कुछ समझ पाता उस से पहले सवालों की बौछार हो गई । इतने दिनों से कोई फ़ोन नहीं किया कोई बात नहीं की आखिर क्यों?
“बस यूँ ही समय नहीं मिला, बात को लपेटते हुए” समीर ने कहा
“मुझे नहीं पता अब हम बात करते रहेंगे । मुझे अच्छा लगता तुमसे बात करना । तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी बहुत याद आती है” नायरा ने प्यार जताते हुए कहा ।
मैं नहीं कर सकता बात वात समीर ने थोड़ी कठोर आवाज़ में कहा
क्यों ? नायरा ने हैरानी से पूछा।
“बस नहीं करनी तुमसे बात” समीर ने फिर दोहराया (शायद समीर नायरा के पिछले अनुभव को महसूस कर रहा था )
पर नायरा कहाँ मानने वाली थी अपनी प्यारी बातों से समीर को बात करने के लिए राजी कर लिया। समीर के ज़ज़्बात एक बार फिर परवान चढ़ने लगे। फिर क्या था गिले शिकवे शिकायत गुस्सा क्या क्या नहीं हुआ दोनों के बीच । कहानी एकदम से बदल सी गई। बीते दिनों समीर का साथ न होना नायरा को खलने लगा था, उसकी तड़प दूध के उबाल सी बन रही थी। उदास मन से अपनी मायूसी बार बार जता रही थी। बातों बातों में आखिर नायरा ने स्वीकार कर ही लिया कि समीर उसका बहुत अच्छा दोस्त है और जिसे वह कभी खोना नहीं चाहती थी।
अब बातों का समय कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था। हर रोज दोनों की घंटों बातें होने लगी थी। एक दूसरे से अपनी बातें, नोंक – झोंक और खूब सारी चर्चा होती थी। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए । दोनों में अब लड़ाई झगड़े भी होने लगे थे। रूठना – मनाना, कई कई दिन बात न करना और फिर अपने आप मान जाना। दोनों को आदत लग गई एक दूसरे से बात करने की। अब रह ही नहीं पाते थे दोनों । एक दिन भी बात न हो तो तड़पने लगते थे।
एक दिन नायरा ने बातों ही बातों में समीर से पूछ लिया “तुम इतना प्यार क्यों करते हो मुझसे ?” नायरा के मुँह से अचानक ये बात सुनकर जैसे समीर को कई वोल्ट के करंट के झटके एक साथ लगे हों । इतने दिनों से जो बात दिल में दबाए बैठा और कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था वही बात नायरा ने एक बच्चे की तरह अनजाने में एक झटके में ही बोल दी।
समीर भी ना नहीं कर पाया। जो चाहा था वही तो हो गया था । इसी बीच नायरा ने उसके साथ एक कप में ही साथ साथ चाय पीने की बात कहकर दबी पड़ी सारी उम्मीदों को फिर से हराभरा कर दिया । अब प्यार मुहब्बत पर भी उनकी बातें होने लगी ।परन्तु कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी । किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था । किसी बात को लेकर दोनों में फिर झगड़ा हो जाता है। इस बार नायरा के तेवर अलग थे कुछ ज्यादा ही बोल दिया । ये उसका अंहकार बोल रहा था । वो समीर को कठपुतली बनाना चाहती थी जो जब चाहे करवा लें जैसे चाहे रखे। क्योंकि वो समीर के निश्छल प्रेम को समीर की कमजोरी मान रही थी। नायरा
समीर को बहुत हल्के में लेने लगी थी ।
अब ये बातें समीर भी समझने लगा था। परन्तु दिल से मजबूर वह नायरा को कुछ भी नहीं कह पा रहा था । समीर भी अब सिर्फ इसलिए बातें कर लेता था क्योंकि नायरा को अपना मन बहलाना होता था। समीर धोखे का शिकार हो चुका था ये बात अब वो पूरी तरह से समझ गया था कि वो सारी प्यार भरी बातें वो झूठे दिलासे और किसी को दुख न पहुंचने के खयाल सब फरेब था । पर उसे कहता नहीं था बस कड़वा घूट पी जाता था ।
कल नायरा का जन्मदिन था समीर उसको कोई अच्छा सा उपहार देने की सोच रहा था कि तभी नायरा का फोन आता है । घर पर पार्टी की कहकर उसे घर बुलाती है । समीर अभी भी उम्मीद रखता है कि सब ठीक हो जाएगा और हम पहले जैसे हो जाएंगे।
अगले ही दिन ट्रैन पकड़ कर पहुँच जाता है वह नायरा से मिलने उसके शहर।
आज समीर भी आर पार के मूड में था । या तो वह नायरा को अपना बना लेगा या हमेशा हमेशा के लिए उसकी जिंदगी से चला जाएगा । सोचते सोचते रेलवे स्टेशन से बाहर निकल आता है कि फोन पर मैसेज की बीप सुनाई देती है ये नायरा का मैसेज था किसी सुंदर लड़के की तस्वीर थी ।
“बताओ कैसी लगी फ़ोटो ?” “अच्छी है” समीर ने साधारण सा जवाब दिया।
“सच बताओ कैसी लगी” नायरा ने जोर देकर पूछा
समीर ऑटो की तरफ चल पड़ा
तभी फोन की घंटी बजती है फ़ोन उठाते ही नायरा चिल्लाकर बोली। इतना वक्त वो भी मेरा जवाब देने में । अब नायरा का गुस्सा और भी बढ़ गया था। ये मेरे होने वाले पति देव की फ़ोटो है
समीर हड़बड़ा सा गया पति देव ?
ये क्या बोल रही हो ? तुम और किससे शादी कर रही हो हैरानी से पूछा
अरे बुद्दु!
सारे सरप्राइज का सत्यानाश कर दिया । लड़का NRI है और बहुत पैसे वाला है । आज मेरे जन्मदिन पर हमारी सगाई है। बात काटते हुए समीर बोला पड़ा और मैं मेरा क्या होगा? तुम तो मुझसे प्यार करती थी ना ?
फिर शादी किसी और से कैसे कर सकती हो ?
अरे नहीं हम तो सिर्फ दोस्त थे प्यार थोड़े न करती थी मैं तुझसे अब नायरा कुछ डरी हुई सी बोल रही थी। सिर्फ दोस्त थे ? समीर के चेहरे का रंग पूरी तरह से उतर गया था।
तू मेरी कितनी केयर करती बातें करती थी और बात न हो तो अब भी तड़प उठती हो क्या ये तुम्हारा प्यार नहीं था?
बातें करना प्यार नहीं होता नायरा बात को लपेटते हुए बोली। बात तो तुम भी बहुत करते थे फ़ोन पर और जाने किस- किस से? तो क्या तुम सबसे प्यार करते हो? ये सवाल कम इल्ज़ाम ज्यादा था ।
अब समीर को कुछ भी नहीं सूझ रहा था वह एकदम सुन हो चुका था।
समीर एक प्रयास और करता है नायरा को समझाने का पर नायरा अपनी जिद पकड़कर बैठ गई। मेरी शादी मेरे घर वालों की मर्जी से होगी वो जहाँ चाहे मैं वहीं शादी करूँगी। ( हालांकि इसमें उसके घर वालों की मर्जी कम नायरा की दिलचस्पी ज्यादा लग रही थी)
मानों आसमान गिर गया हो और जमीन फट गई हो ।
उधर नायरा फ़ोन पर कहती है कि “उसका फोन आ गया है अब तुम्हारा फोन काटना पड़ेगा ।”
और हाँ तू आ रहा है ना मेरी सगाई पर ? यह कहकर नायरा फोन रख देती है।
इससे बुरा दिन समीर की ज़िंदगी में पहले शायद कभी नहीं आया था। जिस दिन को वो खास बनाना चाहता था वही दिन उसके लिए सबसे खराब साबित हुआ।
समीर अंदर तक टूट चुका था पाँव पत्थर के समान हो गए थे। उसे ये किसी फिल्म की कहानी जैसी लग रही थी । जो फिल्मों में होता है ठीक वैसा ही उसके साथ हो रहा था।
फ्लैस बैक से लेकर अब तक की सारी कहानी उसकी आँखों के सामने तैरने लगी थी। उसे अब पता था इससे नायरा को कुछ फर्क नहीं पड़ेगा।
समीर वापसी का टिकट लेकर अपने घर आने के लिए ट्रेन की तरफ आ रहा था ।
उसे समझ आ गया था कि जो कहानी वो जी रहा था असल में वो उस नायक का किरदार था ही नहीं। नायरा के लिए तो अब भी दिल से दुआएं ही निकल रही थी।
उसके जन्मदिन का गिफ्ट समीर के हाथों में अब बोझ सा बन गया था । अचानक उसे स्टेशन पर एक छोटी सी प्यारी लड़की जो अपने अपँग बाबा के साथ भीख माँग रही थी वही उसे नायरा जैसे ही लगती है। बल्कि नायरा से भी ज्यादा अच्छी लगती है । समीर अपने मन की नायरा को उस छोटी सी गुड़िया से कहीं तुछ पाता है और अपने हाथ में लिया हुआ टेडी बियर उस वास्तविक नायरा की तरफ बढ़ा देता है । जल्दी से ट्रैन की तरफ चल पड़ता है और
ट्रैन पटरी पर दौड़ने लग जाती है। प्लेटफार्म पर लिखा हुआ नायरा के शहर का नाम धीरे धीरे धुंधला होने लगता है समीर की आँखों से भी और उसके मन से भी ।
-सागर

Language: Hindi
2 Likes · 199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*स्वर्गीय श्री जय किशन चौरसिया : न थके न हारे*
*स्वर्गीय श्री जय किशन चौरसिया : न थके न हारे*
Ravi Prakash
जिसके पास
जिसके पास "ग़ैरत" नाम की कोई चीज़ नहीं, उन्हें "ज़लील" होने का
*Author प्रणय प्रभात*
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023  मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023 मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
Shashi kala vyas
बच्चों सम्भल लो तुम
बच्चों सम्भल लो तुम
gurudeenverma198
गर्भपात
गर्भपात
Dr. Kishan tandon kranti
फकीरी
फकीरी
Sanjay ' शून्य'
चलता ही रहा
चलता ही रहा
हिमांशु Kulshrestha
इक दुनिया है.......
इक दुनिया है.......
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
धर्म वर्ण के भेद बने हैं प्रखर नाम कद काठी हैं।
धर्म वर्ण के भेद बने हैं प्रखर नाम कद काठी हैं।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
R J Meditation Centre
R J Meditation Centre
Ravikesh Jha
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
एक फूल
एक फूल
Anil "Aadarsh"
हँस लो! आज  दर-ब-दर हैं
हँस लो! आज दर-ब-दर हैं
दुष्यन्त 'बाबा'
काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
कवि रमेशराज
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
Manisha Manjari
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
*आस्था*
*आस्था*
Dushyant Kumar
क्रोधावेग और प्रेमातिरेक पर सुभाषित / MUSAFIR BAITHA
क्रोधावेग और प्रेमातिरेक पर सुभाषित / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
3266.*पूर्णिका*
3266.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
Phool gufran
दिखती है हर दिशा में वो छवि तुम्हारी है
दिखती है हर दिशा में वो छवि तुम्हारी है
Er. Sanjay Shrivastava
" रहना तुम्हारे सँग "
DrLakshman Jha Parimal
జయ శ్రీ రామ...
జయ శ్రీ రామ...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बात जो दिल में है
बात जो दिल में है
Shivkumar Bilagrami
अगर वास्तव में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें,तो दूसर
अगर वास्तव में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें,तो दूसर
Paras Nath Jha
मौत से यारो किसकी यारी है
मौत से यारो किसकी यारी है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिंदी दिवस - विषय - दवा
हिंदी दिवस - विषय - दवा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Sakshi Tripathi
कहानी-
कहानी- "हाजरा का बुर्क़ा ढीला है"
Dr Tabassum Jahan
Loading...