किरदार
इंसान तो वही है इबादत के काबिल ,
जिसका किरदार एक खुली किताब हो ।
दिल और जमीर हो आईने सा साफ ,
नेकनामियों से रूह ऐसे चमके जैसे आफताब हो ।
इंसान तो वही है इबादत के काबिल ,
जिसका किरदार एक खुली किताब हो ।
दिल और जमीर हो आईने सा साफ ,
नेकनामियों से रूह ऐसे चमके जैसे आफताब हो ।