किरदार निभाना है
हर शख्स को यहां अपना किरदार निभाना है।
ज़माने के हर तीर का वो आखिरी निशाना है।
जिंदगी ने तुझे,हर कदम पर आजमाना है
इस जिंदगी की हर अदा कातिलाना है।
बंदगी करके तुझे ,सर सजदे में झुकाना है।
जिसने अता की हैं सांसें,उसका कर्ज चुकाना है।
किस किस से कहोगे ,तुम्हें मेरा साथ निभाना है।
आखिरी सफर पर जब अकेले ही हमें जाना है।
कितने भी मुख्तलिफ रंगों से खुद को सजाना है।
आखिर तस्वीर होकर , तस्वीर में ढल जाना है।
सुरिंदर कौर