किरत कुंवरा आपरी , इळ मांहे अखियात। किरत कुंवरा आपरी , इळ मांहे अखियात। सबळ निरबळ समदरसी,परचा घण विखयात।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️