किरण
**किरण**
उम्मीद की किरण जो सहारा बन जाती
दिल के सारे अरमान पूर्ण कर पाती
संघर्ष के पलों में पतवार बन कर
जीवन की डगर पर चलना सिखा जाती ।।
ज्ञान की किरणें फैला उजियारा भी करती
अज्ञान का तिमिर भगा ज्ञान का दीप जलाती
नये हौसले , नई उड़ान जीवन सफल बनाती
नई डगर, नयी मंज़िलें , सपने साकार करती ।।
आशा की एक किरण ख़्वाब नये बुन पाती
तूफ़ान से डूबती कश्ती तो पार लग जाती
नित नव प्रेरणा, नई उर्जा अन्तस् में भर जाती
क्षितिज को छू लेती उड़ान पूरी हो जाती ।।
मंजु बंसल “ मुक्ता मधुश्री”
जोरहाट
( मौलिक व प्रकाशनार्थ )