“किया तारीफ करू तुम्हारी”
बहुत खूबसूरत हो, किया तारीफ करू तुम्हारी.
चहरे की रोशनी, सूरज को मात देती है.
गालो पर आये जुल्फे, ऐसे हवाएं भी साथ देती है.
तेरे हुस्न पर दुनिया हारी.
बहुत खूबसूरत हो, किया तारीफ करू तुम्हारी
आँखे तुम्हारी हर बात बया करती है,
चहरे का हर एक राज बया करती है.
सादगी भी ले लेती है, जान हमारी.
बहुत खूबसूरत हो, किया तारीफ करू तुम्हारी.
फूलो सी मुस्कान, भीड़ मे भी एक अनोखी पहचान.
तेरा हर एक अन्दाज निराला है.
लेकिन तेरी हसीं, लगती मुझे सबसे प्यारी.
बहुत खूबसूरत हो, किया तारीफ करू तुम्हारी.
बाते तेरी दिल को सुकून देती है, मेरा हर एक गम ले लेती है.
परियो को मैंने कभी देखा नहीं, पर तुझे देख अब यकीन हो गया है.
बोल गजल लिख दू, या लिख दू मे तुझ पे शायरी.
बहुत खूबसूरत हो, किया तारीफ करू तुम्हारी.