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20 Sep 2023 · 1 min read

किधर चले हो यूं मोड़कर मुँह मुझे सनम तुम न अब सताओ

किधर चले हो यूं मोड़कर मुँह मुझे सनम तुम न अब सताओ
बिना तुम्हारे न जी सकूंगी तुम्हें कसम मेरी लौट आओ

किए थे वादे थी खाई कसमें उन्हें क्यों तुमने भुला दिया है
जो आंखें दुनिया रहीं तुम्हारी उन्हें क्यों इतना रुला दिया है
समझ नहीं मैं ये पा रही हूं जरा तो आकर मुझे बताओ
बिना तुम्हारे न जी सकूंगी तुम्हें कसम मेरी लौट आओ

चले सदा ही कदम मिलाकररहे कभी भी नहीं अकेले
सजे निगाहों में मेरे रहते हैं यादों के वो हसीन मेले
न आ सको मेरे पास यदि तुम तो पास अपने मुझे बुलाओ
बिना तुम्हारे न जी सकूंगी तुम्हें कसम मेरी लौट आओ

बसी हुई घर के कोने-कोने में खुशबुएं हर तरफ़ तुम्हारी
निभानी होगी मुझे यहां अब तो कंटकों से ही सिर्फ यारी
तड़प रही हूं बिना तुम्हारे ज़रा सा मुझ पर तरस तो खाओ
बिना तुम्हारे न जी सकूंगी तुम्हें कसम मेरी लौट आओ

डॉ अर्चना गुप्ता
20.09.2023

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 2296 Views
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