Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

किताब

किताब
अरे हस्ती!किताबें ज्ञान का दीप होती हैं
जिसकी रोशनी में रह रह कर….
इंसानियत खुद के अतीत को पढ़कर….
जान पाता है कुछ खोये हुए अछूत को…
.जिनसे वो अनभिज्ञ हैं…
कि कौन हूँ मै…
अब कौन हूँ…
क्या होउंगा…
मैं ये सब खुराफातें जिदंगी की….
वो पढ़कर किताबें हर छोर की….
समझना चाहता है…
गढ़ना चाहता है….
मगर वो जिजिविषा आज हर इंसानियत की खो गई…..
किताबों को परे कर जिदंगी से…
वो ओनलाइन हो गयी….
इंसानियत का वो तकाजा देखिए जनाब…
खुद को छिटक कर किताबों से आज…
वो एकांत में देख ओनलाइन हो गयी…..
हकीकत का जुनून जो कल किताबों के हुजूम में…
सुगबुगाहट सी दिखाई देती थी…
वो आज खुद अपनों से अलग कर ज्ञान…
वो एकांतर अंतरण ओनलाइन हो गयी….. अफ़सोस आज वो मेरी सब किताबें! खामोशी में….
इस कदर धूल फांकें रहीं हैं…..
किसी के आने के इतंजार में उम्मीद लिए फिर से…
आज पुस्तकालय में किताबें मेरी फड़फड़ा रहीं हैं….
कि कोई आयेगा फिर से मेरा एकांतर वो जो चला गया छोड़ कर भुल से मुझे।
स्वरचित कविता
सुरेखा राठी

95 Views

You may also like these posts

तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
Mahender Singh
जो थे क्रिमिनल..., देख परिंदे,
जो थे क्रिमिनल..., देख परिंदे,
पंकज परिंदा
टूट गया हूं शीशे सा,
टूट गया हूं शीशे सा,
Umender kumar
तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।।
तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।।
अनुराग दीक्षित
ऐसा एक भारत बनाएं
ऐसा एक भारत बनाएं
नेताम आर सी
जो कभी थी नहीं वो शान लिए बैठे हैं।
जो कभी थी नहीं वो शान लिए बैठे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
करम धर्म की नींव है,
करम धर्म की नींव है,
sushil sarna
फेसबुक को पढ़ने वाले
फेसबुक को पढ़ने वाले
Vishnu Prasad 'panchotiya'
हमराही हमसफ़र मेरे,
हमराही हमसफ़र मेरे,
Radha Bablu mishra
कुछ लोग कहते है की चलो मामला रफा दफ़ा हुआ।
कुछ लोग कहते है की चलो मामला रफा दफ़ा हुआ।
Ashwini sharma
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
हिंदी पखवाडा
हिंदी पखवाडा
Shashi Dhar Kumar
बुंदेली दोहा- अस्नान
बुंदेली दोहा- अस्नान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
एक तरफा दोस्ती की कीमत
एक तरफा दोस्ती की कीमत
SHAMA PARVEEN
गलियों का शोर
गलियों का शोर
PRADYUMNA AROTHIYA
ऊपर बैठा नील गगन में भाग्य सभी का लिखता है
ऊपर बैठा नील गगन में भाग्य सभी का लिखता है
Anil Mishra Prahari
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दिल की बात
दिल की बात
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्रियतम
प्रियतम
Rambali Mishra
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
शेखर सिंह
*बादल और किसान *
*बादल और किसान *
Priyank Upadhyay
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
Anand Kumar
मुंबई फिर दहली
मुंबई फिर दहली
C S Santoshi
चौपाई - तुलसीदास
चौपाई - तुलसीदास
Sudhir srivastava
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
दोनों हाथों से दुआएं दीजिए
दोनों हाथों से दुआएं दीजिए
Harminder Kaur
"विरले ही लोग"
Dr. Kishan tandon kranti
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
gurudeenverma198
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ,  तो इस कविता के भावार
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार
Chaahat
Loading...