किताब लिखो,फिर हिसाब लिखो,जिंदगी यूं ही तमाम लिखों।
किताब लिखो,फिर हिसाब लिखो,जिंदगी यूं ही तमाम लिखों।
गुजरते गुजरते,गुजर ही जाएगी ,क्यों फिर शामो को
अपनी तुम बदनाम लिखो।
आएंगी रुक जाएंगी,रुक कर फिर बढ़ती जाएंगी
तन्हा तन्हा ही रहा सफर,क्यों इनको सरेआम लिखो।।
जैसे शोर कहीं ना होता है,जैसे खामोशी की आवाज नहीं
आज नहीं तो कल आएगी,खुशियां अपनी अनजान लिखों।।
पतझर का मौसम बीतेगा,क्या फिर बहारें छाएंगी
दुखों के बादल हट जाएंगे,तुम जो नाम मेरा एक बार लिखो।।
मैं तुझमें यूं ही खिलती रहूं,तू मुझमें जैसे पनप गया
अब बात तो बाहर आएगी,तुम नाम मेरा बदनाम लिखो।।
हंसकर रोना या रो कर हंसना
दोनो में हिम्मत लगती है