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9 Jun 2023 · 1 min read

किताबें

किताबें

समय/असमय
किताबें जब भी
आवाज देकर बुलाती हैं
अपने पास
रुक नहीं पाती
बैठती हूँ
बतियाती हूँ
इनके साथ तब तक
जब तक कि नींद से
बोझिल नहीं हो जाती आँखें,
पर ये थकती नहीं
जाने कितनी
बातों का अम्बार है
इनके पास
जो बढ़ता ही जाता है
जो इनके पास आता है
इनका ही
होकर रह जाता है
रिश्ता निभाना
कोई किताबों से सीखे।

#डॉभारतीवर्माबौड़ाई

1 Like · 265 Views
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