*कितनों से रिश्ते जुड़े नए, कितनों से जुड़कर छूट गए (राधेश्य
कितनों से रिश्ते जुड़े नए, कितनों से जुड़कर छूट गए (राधेश्यामी छंद)
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कितनों से रिश्ते जुड़े नए, कितनों से जुड़कर छूट गए
कुछ बने हृदय के हार मधुर, कुछ कर्कश स्वर में टूट गए
क्या हॅंसी-खुशी क्या गम करना, सब कुछ सपना कहलाता है
जो लिखा भाग्य में भोग लिया, प्रभु सबका भाग्यविधाता है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451